जगह-जगह बहुत ऊंचाई पर टंगी तस्वीरों में दिखाई पड़ने वाला ये मुस्कुराता चेहरा आखिर इतना मुस्कुरा क्यों रहा है? क्या कभी आपने इस पर विचार किया है? अगर अब तक विचार नहीं किया, तो अब कीजिए और गहराई से सोचिए कि क्या ये सचमुच मुस्कुरा रहा है। जी नहीं ! ये मुस्कुरा नहीं रहा है, बल्कि हँस रहा है, हम पर हँस रहा है, हमारी बेबसी पर हँस रहा है, हमारी लाचारी पर हँस रहा है, हमारी नाकामी पर हँस रहा है। यह एक ऐसे विजेता की मुस्कान है, जिसने अफवाहों के बल पर आवाम के दिलो-दिमाग पर विजय हासिल की है।यह एक ऐसे व्यापारी की मुस्कान है, जिसने झूठ के बल पर सत्ता हासिल करने के एक नायाब तरीके का इजाद किया है। यह एक ऐसे धार्मिक व्यापारी की मुस्कान है, जिसने धर्म के धंधे को अपने राजनैतिक मुनाफे के लिए इस्तेमाल किया। यह एक ऐसे मायावी मानव की मुस्कान है, जिसने अपने झूठे आंसू से पूरे आवाम को सच में रुला दिया। यह एक ऐसे सुखी इंसान की मुस्कान है, जिसने अपने सुख के लिए पूरी आवाम को दुख के अथाह सागर में धकेल दिया। यह एक ऐसे सौदागर की मुस्कान है, जिसने अपने फायदे के लिए आ