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खामोशी में हलचल,https://rroshanravi.blogspot.com/2020/05/blog-post.html

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                  खामोशी में हलचल                  खामोश सड़कों से 'भागो भागो भागो ... पुलिस आ गई भागो' चिल्लाता हुआ टप्पु गली की ओर भागा। इतना सुनते ही वहां खड़े दूसरे लोग बीना कुछ देखे ही दूसरी तरफ की एक गली में घुस जाते हैं। डंडा लहराता हुआ एक सिपाही सड़क पर दौड़ता हुआ आ रहा है। बेवजह घूमने वाला टप्पू तो भाग जाता है, लेकिन सब्जी खरीदने के लिए बाजार जाने वाला टप्पू का दोस्त सिपाही की पकड़ में आ जाता है। सिपाही जी को जब पूरा यकीन हो जाता है कि वो बेवजह नहीं घूम रहा है, तब कुछ हिदायतों के साथ उसे छोड़ देता है।              टप्पू हांफता हुआ अपने घर पहुंचता है। दरवाजे की कुंडी बंद कर वह जैसे ही बैठता है ,उसकी सांसें बहुत तेजी से ऊपर-नीचे होने लगती है। टप्पू की हांफती हुई आवाज से बरामदे के पास सो  रही मां की नींद खुल जाती है। मां पूछती है- मां-क्या हुआ ?काहे हांफ रहा है? टप्पू-कुछ नहीं। मां-कुछ नहीं हुआ तो हांफ काहे रहा है? कहीं बाहर तो नहीं गया था? टप्पू-हां, मन नहीं लग रहा था, इसीलिए बाहर गया था? मां-घर में इतने सारे लोग हैं, सबको मन लग रहा है, लेकिन तुम्हारा ही