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            नए पैसे वाला पुराना फ़क़ीर


         सूर्य की पहली किरण के अभी दर्शन भी नहीं हुए हैं कि अमर आंखें मलता-मलता बिछावन से उठ कर बैठ जाता है। पड़ोस के चीखने-चिल्लाने की आवाज और तेज हो जाती है। यह आवाज अमर को नींद से जगाता भले ही हैं, लेकिन उसके मन में न कोई हलचल पैदा करता है और न हिं उस चीख पुकार के कारणों की तह तक जाने की उत्सुकता पैदा करता है, क्योंकि यह रोज की घटना है, जो थोड़े से विराम के बाद कमोवेश सारा दिन घटित होता रहता है। यह  शोर-गुल किसी बड़ी वजह से नहीं होता है ,बल्कि यह बेबजह होता रहता है।यह हल्लागुल्ला श्याम के घर में हो रहा है।
         श्याम का घर खपरैल का है। आर्थिक तंगी ही श्याम के यहां होने वाले झगड़े का कारण होता है।  गांव के सभी घरों के हालात कमोबेश एक जैसे ही हैं। अमर का पक्के का मकान है, लेकिन गांव के बांकि सभी घर खपरैल के हैं, या फूस के हैं। आर्थिक तंगी भी गांव के सभी घरों में एक समान ही है, लेकिन श्याम को यह आर्थिक तंगी ज्यादा खल रहा है, क्योंकि श्याम के दादा-परदादा के पास बहुत ज्यादा जमीनें थी, जो परिवार के भरण-पोषण में बिकती चली गई। दादा सामंत थे और पोता फ़क़ीर बन गया। अन्य लोगों के समान हैसियत होने के कारण श्याम के घर वालों को भी गांव वालों के द्वारा अपने बराबर का ही समझा जाता है, लेकिन श्याम के घर वाले अपने परंपरागत सामंती अकड़ बरकरार रखना चाहते हैं, जो श्याम से गांव के अन्य लोगों के साथ विवाद को जन्म देता है।
           अमर का घर गांव के पूर्वी हिस्से में स्थित है। अमर, श्याम के दूरदराज का रिश्तेदार है। अमर के घर वालों ने इज्जत कमाई, दौलत कमाया और मजबूत आर्थिक स्थिति के कारण गांव के लोगों के मन में जगह भी बनाई। यही बात श्याम के घर वालों को अंदर ही अंदर पीड़ा देती है। अमर का रिश्तेदार होने के कारण श्याम के घर वाले भी गांव वालों से अमर के बराबर का सम्मान प्राप्त करने की आशा रखते हैं और यह सम्मान गांव वाले उसे देने को तैयार नहीं है।
           अमर केवल आर्थिक रूप से ही संपन्न नहीं है, बल्कि संपन्नता उसके मन में भी है। अमर के दिल में शाम के घर वालों के लिए इज्जत है और वह उनकी परेशानियों को समझते हुए उसे समय-समय पर आर्थिक मदद पहुंचाता है तथा रोटी-कपड़ा की भी हर संभव व्यवस्था करता रहता है। अमर यह भी चाहता है कि समाज में श्याम को भी सम्मान मिले, लेकिन हमारी समाज व्यवस्था ऐसी नहीं है कि किसी के कहने पर किसी और को सम्मान दिया जाए। सम्मान का भाव तो स्वत: ही किसी के मन में किसी के लिए पैदा होता  है।
                                                               2.
          समय अपनी ही रफ्तार से चलता है। अपनी रफ्तार में न सही, लेकिन समय सामाजिक हालात को धीरे-धीरे बदलता भी जरूर है। गांव के लोगों की आर्थिक तंगी भी समाप्त हो गई है और लोगों को मेहनत-मजदूरी से इतनी आमदनी हो जाती है कि वह सम्मान पूर्वक जीवन व्यतीत कर सके। गांव के प्राय: सभी घर भी पक्के के हो गए हैं। आर्थिक संपन्नता ने गांव के लोगों के विचार-व्यवहार में क्रमिक बदलाव किया, जो अत्यंत धीमी गति की है।
           श्याम की आर्थिक संपन्नता में भी बहुत ज्यादा इजाफा नहीं हुआ , लेकिन पूर्व की स्थिति से  बेहतर है। श्याम की आर्थिक संपन्नता गांव के अन्य लोगों की तुलना में थोड़ी ज्यादा है ,लेकिन इस आर्थिक संपन्नता को बहुत ज्यादा दिखाने की चाह ने उसके व्यवहार को बहुत तेजी से बदला। अमर की हर बात में हां में हां मिलाने वाला श्याम अब अमर से बराबरी करने की इच्छा रखने लगा, जबकि अभी भी श्याम की हैसियत अमर की हैसियत के एक प्रतिशत के बराबर भी नहीं है।
             अमर को मिलने वाले संस्कारों ने उसके सहयोगात्मक प्रवृत्ति और सामाजिक सहभागिता को और बढ़ाया और इसी अनुपात में लोगों के मन में अमर के प्रति सम्मान का भाव भी बढ़ा। श्याम के मन में अमर के प्रति ईर्ष्या का भाव पहले भी था और अब भी है। आर्थिक तंगी के कारण पहले यह भाव दबा हुआ था, लेकिन अब यह विरोध के रूप में उभर कर सामने आया है। अमर पढ़ा लिखा है और श्याम के मन में अचानक हुए पैसे से उत्पन्न बौखलाहट को भली-भांति समझ सकता है। मुफ़लिसी के दिनों में दो वक्त की रोटी का प्रबंध न कर पाने वाला इंसान यदि थोड़ा-सा भी संपन्न हो जाता है, तो उसे दुनिया के सारे लोग गरीब ही नजर आने लगते हैं। यही स्थिति श्याम की हो गई है।
          गांव के लोग अभी भी श्याम को तवज्जो नहीं देते हैं और गाहे-ब-गाहे उसे उसकी अतीत में झांकने को मजबूर करते रहते हैं। यही बात श्याम को नागवार गुजरता है, जो उसके मानसिक विकृति का कारण बनता है और यह उसकी हरकतों में साफ दिखाई पड़ता है। गांव वालों के मुंह से खुद को पैसेवाला कहलाने की लालसा मन में ही रह जाती है,क्योंकि गांव वाले उसे पैसे वाला कहने  को  तैयार नहीं है। अब वह गांव में''नए पैसे वाले पुराने फ़क़ीर'' के रूप में मजाक का पात्र बन गया है।
       आखिरकार वह हमेशा के लिए अपना गांव छोड़ देने का निर्णय लेता  है और उस जगह रहने लगता है, जहां उसे कोई नहीं जानता है और ना ही कोई उसके अतीत में झांकने की कोशिश करता है। 
        प्रकृति का अपना नियम है जहां लोगों को आगे की राह दिखाने वाला इंसान हमेशा सम्मान का पाता है ,लेकिन किसी के पैरों को खींचकर उसके प्रगति को रोकने वाला इंसान इस कदर औंधे मुंह गिरता है कि वह न तो खुद उठ पाता है और ना ही उसे उठाने के लिए समाज का कोई अन्य व्यक्ति आगे आता है और फिर वह गुमनामी के अंधेरे से कभी उजाले की तरफ नहीं आ पाता है। अमर के प्रति गांव वालों के मन में अभी भी सम्मान का भाव है ,गांव वाले अब भी उसे इज्जत देते हैं, तो इसका कारण यह है कि उन्होंने अपने सामर्थ्य के अनुसार लोगों को आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया और श्याम के लज्जित होकर गांव छोड़ने का कारण यह है कि उसने हमेशा लोगों की उन्नति को रोकने का प्रयास किया। 
     समाज भले ही अलग-अलग हो, लेकिन लोगों की प्रवृत्तियां कमोबेश एक जैसी ही होती है और हर समाज में पैसे का आकर्षण किसी भी अन्य आकर्षक चीजों के आकर्षण से ज्यादा होता है। नए समाज में पैसे वाले के रूप में खुद को स्थापित करने वाला श्याम आर्थिक रूप से बिखरता चला जाता है और पैसे वाला दिखने की चाहत में वह बर्बाद हो जाता है। 
अब हिंदुस्तान में भुखमरी की स्थिति नहीं है , इसीलिए श्याम को भी दो वक्त की रोटी नसीब तो हो जाती है। इसके अलावा उसके पास कुछ नहीं बचता है और उसकी जिंदगी में फिर से शुरू हो जाती है बेबसी और लाचारी। इसी बेबसी की हालत में वह अपने गांव की तरफ उस समय को याद करते हुए चल देता है, जिस समय ने उसे सम्हलने का बहुत मौका दिया, लेकिन वह सम्हल नहीं पाया। लेकिन, अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत। वह पूरी तरह से आबाद होने के पहले ही बर्बाद हो गया। 'नए पैसे वाला' बनकर गांव से पलायन करने वाला श्याम अपने गांव वापस लौटता है, 'पुराना फ़क़ीर' बनकर।
-- डॉ रोशन रवि
(असिस्टेंट प्रोफेसर, के.डी.एस. कॉलेज, गोगरी, खगड़िया)


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