सवाल जबाव the real situation of Biharhttps://rroshanravi.blogspot.com/2021/05/blog-post.html
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सवाल-जवाब
जहां कल था, खुशियों का बसेरा।
वहां आज है, गमों का अंधेरा।।
जनता का यह सवाल है सुशासन से?
क्या विकास होगा सिर्फ भाषण से?
क्या बदली जाएगी बिहार की तस्वीर?
या बेकारी ही बनेगी जनता की तकदीर?
जवाब आया सुशासन से अकड़ कर।
क्यों बैठे हो अपने पैसे पकड़ कर।।
अधिकारियों और मंत्रियों को पैसा खिलाओ।
और फिर अपना, मनचाहा फल पाओ।।
जनता ने कहा 'पैसा कहां से आएगा सरकार?'
क्या रोजगार के लिए बेच दें घर-बार?
क्या इसलिए हमने आपको दिया था वोट?
रोजगार के बदले मांगें आप हमसे नोट?
तुम्हारे कहने से कुछ फर्क नहीं पड़ता है सुशासन को।
दम है तो हिला कर देख लो मंत्री के आसन को।।
हमें मिला है चुनाव में पूर्ण बहुमत।
किसी की सुनने की क्या है जरूरत?
जो मर्जी में करूं मेरा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
नींव बहुत मजबूत है इसलिए सत्ता से उखाड़ नहीं सकता।।
चुनाव के पैसे मैं कहां से लाऊंगा?
इसके लिए अधिकारियों को ही तो मोहरा बनाऊंगा।।
फिर जब चुनाव का समय आएगा।
यही पैसा असर दिखाएगा।।
क्या हुआ गर बिहार विकास से महरूम रहा है?
पर अखबारों में तो सुशासन की ही घूम रहा है।।
बिहार की हालत को देखने कौन आएगा?
अखबार ही सुशासन की 'झूठी सच्चाई' को फैलाएगा।।
बिहार की इस सच्चाई को कोई नहीं रहा टटोल।
बिहार का विकास है बस 'ढोल की पोल'।।
बिहार में तो मैंने कई योजनाएं हैं चलाई।
क्या करूं ग़र इससे ना हो सका किसी की भलाई।।
कागज पर तो अपना काम निकाल लिया।
घुस में जो मिला, उसे स्विस बैंक में डाल दिया।।
अपनी खुलती हुई पोल को जानकर।
कहा उसने अपनी भौंहें तानकर।।
बन्द करो अब सवाल-जवाब।
जो होगा नहीं, उसका मत देखो ख्वाब।।
अब हमें कुछ नहीं है सुनना।
जिसे चाहे, अगले चुनाव में चुनना।।
जो तुम्हारे साथ हो रहा है, उसे चुपचाप सहो।
पर सुशासन के बारे में, कुछ ना कहो।।
ज्यादा मचाओगे बवाल।
जेल में काटना पड़ेगा कई साल।।
-डॉ रोशन रवि,
विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग, के.डी.एस. कॉलेज, गोगरी, मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर।
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