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अप्रैल, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लॉक डाउन पर सवाल, https://rroshanravi.blogspot.com/2020/04/blog-post29.html

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        ‌‌‌‌‌‌        लॉक डाउन पर सवाल                            सन्नाटा है सड़कों पर और लोगों में खामोशी।  वीराने इस हालत का अब कहो कौन है दोषी? --रोशन रवि (असिस्टेंट प्रोफेसर के.डी.एस. कॉलेज, गोगरी, खगड़िया)

हम क्या कम हैं?,The real story of Criminalization of politics and politicization of criminal,https://rroshanravi.blogspot.com/2020/04/real-story-of-criminalization-of28.html

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https://rroshanravi.blogspot.com/2020/04/real-story-of-criminalization-of28.html                                                                                                          हम क्या कम हैं?  The real story of Criminalization of politics and politicization of criminal                                     'नेताजी अमर रहे... हिंदुस्तान जिंदाबाद... मुरारी गंज की जनता जिंदाबाद... जिंदाबाद, जिंदाबाद' की गूंज से समस्त मुरारी गंज की फ़िजा गुंजायमान है। आज मुरारी गंज के नए विधायक जयकांत सिंह का नागरिक अभिनंदन है। फूल मालाओं से लदे नेताजी के चेहरे से असीम खुशी की झलक दिखाई पड़ती है, जो छिपाए नहीं छिप रही। पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े और विजयी भी हुए और वह भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर। जय कांत ने कई बार विधायक रहे रंजीत सिंह को चुनाव में परास्त किया है। जयकांत इस  जीत का श्रेय मन ही मन अपने जात-बिरादरी के लोगों के साथ-साथ मदन सिंह को देते हैं। अभी राजनीति के कच्चे खिलाड़ी हैं, इसलिए ऐसा सोच रहे हैं,वरना नेता लोग किसी भी कार्य का श्रेय खुद लेते हैं, किसी को

जिन्दगी की बंदगी, https://rroshanravi.blogspot.com/2020/04/blog-post18.html

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                    जिन्दगी की बंदगी            महानगरों में जिंदगी बहुत तेज दौड़ती है। सबसे बड़ी बात इन तेज दौड़ती जिंदगियों में ब्रेक ही नहीं होती, इसलिए यह रुकती नहीं, लगातार चलती रहती है । विक्रम भी शहर में ही रहता है, इसीलिए उसकी जिंदगी में भी ठहराव नहीं है। सुबह में ऑफिस जाना और फिर शाम में वापस घर आ जाना ही विक्रम के लिए जिंदगी है। विक्रम एक मल्टीनेशनल कंपनी के  बड़े पद पर कार्यरत है और उसकी तनख्वाह किसी भी आम सरकारी नौकरी से बहुत ज्यादा है। विक्रम शहर में रहता है, इसलिए इतने बड़े पद पर होने के बावजूद उसे पड़ोसी भी नहीं जानते हैं। किसी गांव में होते तो शायद उसके नाम का डंका बजता। विक्रम गांव का ही रहने वाला है, लेकिन बरसों हो गए गांव का मुंह देखे।                 विक्रम सरकारी नौकरी करना चाहता था और अधिकारी बनना चाहता था, लेकिन सरकारी नौकरी में तो गांव-गांव की खाक छाननी पड़ती है। मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब लग जाने पर महानगरों में ही रह कर काम करना पड़ता है। विक्रम को पावर चाहिए था, पैसे की अहमियत उसके लिए उतनी ज्यादा नहीं थी, इसलिए वह सरकारी अधिकारी बनना चाहता था। उसके

हमारी हिंदी,https://rroshanravi.blogspot.com/2020/04/blog-post16.html

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                        हमारी हिंदी                        हिंदी से ही हिंद की पहचान है।      हिंद ग़र जिस्म है तो, हिंदी उसकी जान है।। - डॉ रोशन रवि (असिस्टेंट प्रोफेसर , हिंदी विभाग, के.डी.एस. कॉलेज, गोगरी, खगड़िया)          https://rroshanravi.blogspot.com

टूटती ख्वाहिशें, बदलता इंसान,https://rroshanravi.blogspot.com/2020/04/blog-post15.html

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                                टूटती ख्वाहिशें, बदलता इंसान                     ' सिकंदर, ओ सिकंदर, झांक ले, झांक ले ,झांक ले ,दिल के अंदर...'महज एक फिल्मी गाने की लाइनें नहीं है, बल्कि दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले सिकंदर को अपनी गरीबी के अंदर झांकने के लिए मजबूर करने वाले रसूखदारों का फरमान भी है। दो वक्त की रोटी का इंतजाम ना कर पाने वाला परिवार यदि किसी तरह से अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर समाज के बड़े ओहदे पर ले जाने  की चाहत रखता है, तो यह समाज के तथाकथित बड़े कहे जाने वाले लोगों के लिए चिंता का विषय होना आम बात है।यह  मानवीय स्वभाव भी है और आजकल के समाज में यह कह कर इसे उचित भी ठहराया जाता है कि जब किस्मत ने ही उसे गरीब बना दिया है, तो हम उसमें क्या कर सकते हैं? किसी भी ग़लत चीज पर किस्मत का ठप्पा लगाकर उसे सही ठहराना और उसे शोषण के एक हथियार के रूप में अपनाए जाने का रिवाज हमारे समाज में पुराना है।             दसवीं कक्षा के छात्र विश्व विजेता सिकंदर के बारे में थोड़ा-बहुत जान ही लेते हैं और यही ज्ञान इस सिकंदर को सहपाठियों में मजाक का पात्र बना देता है। सिकंदर के

नए पैसे वाला पुराना फ़क़ीर,https://rroshanravi.blogspot.com/2020/04/blog-post.html

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                                    नए पैसे वाला पुराना फ़क़ीर           सूर्य की पहली किरण के अभी दर्शन भी नहीं हुए हैं कि अमर आंखें मलता-मलता बिछावन से उठ कर बैठ जाता है। पड़ोस के चीखने-चिल्लाने की आवाज और तेज हो जाती है। यह आवाज अमर को नींद से जगाता भले ही हैं, लेकिन उसके मन में न कोई हलचल पैदा करता है और न हिं उस चीख पुकार के कारणों की तह तक जाने की उत्सुकता पैदा करता है, क्योंकि यह रोज की घटना है, जो थोड़े से विराम के बाद कमोवेश सारा दिन घटित होता रहता है। यह  शोर-गुल किसी बड़ी वजह से नहीं होता है ,बल्कि यह बेबजह होता रहता है।यह हल्लागुल्ला श्याम के घर में हो रहा है।          श्याम का घर खपरैल का है। आर्थिक तंगी ही श्याम के यहां होने वाले झगड़े का कारण होता है।  गांव के सभी घरों के हालात कमोबेश एक जैसे ही हैं। अमर का पक्के का मकान है, लेकिन गांव के बांकि सभी घर खपरैल के हैं, या फूस के हैं। आर्थिक तंगी भी गांव के सभी घरों में एक समान ही है, लेकिन श्याम को यह आर्थिक तंगी ज्यादा खल रहा है, क्योंकि श्याम के दादा-परदादा के पास बहुत ज्यादा जमीनें थी, जो परिवार के भरण-पोषण में बि

आखिर न्याय मिल ही गया,Real Story of Police Station,https://rroshanravi.blogspot.com/2020/04/real-story-of-police-station.html

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              आखिर न्याय मिल ही गया         Real Story of Police Station             इंसाफ मांगता हुआ एक युवक थाने पहुंचता है। गांव में पंचायत है और वहां मुफ्त में न्याय भी मिल सकता है, लेकिन फिर भी लोग न्याय के लिए पुलिस स्टेशन ही जाते हैं। समय बदल गया है, लोग अब सस्ती चीजों में विश्वास नहीं रखते हैं, बल्कि महंगी चीजों में विश्वास रखते हैं, और यही कारण है कि हमारे समाज में महंगी न्याय व्यवस्था में लोगों की आस्था दृढ़ होती जा रही है। थाने में न्याय व्यवस्था महंगी ही सही ,लेकिन मिलती जरूर है। महंगी चीजें टिकाऊ भी होती है और यह न्याय व्यवस्था महंगी होने के कारण लंबे समय तक चलती रहती है। यह बात अलग है कि एक पक्ष को न्याय देने के क्रम में दूसरे पक्ष के साथ अन्याय हो जाता है। कभी-कभी तो दोनों पक्षों को न्याय देने के चक्कर में अनजाने में ही दोनों पक्षों के साथ आर्थिक अन्याय हो जाता है।                युवक घायल है। उसके सर से खून निकल रहा है। जख्म गहरा नहीं है , लेकिन खून से रंगे हुए सफेद कमीज से गहरे जख्म होने का भ्रम पैदा होता है। न्याय की मांग करता हुआ युवक थाने में बैठे एक साहब

बिहार की राजनीतिक दिशा को बदलता पिछड़ा और दलित समुदाय, Backward and Dalit Communities changing the political direction of Bihar,https://rroshanravi.blogspot.com/2020/04/backward-and-dalit-communities-changing-political-diraction.html?m=1

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      बिहार    की राजनीतिक दिशा को बदलता पिछड़ा और दलित समुदाय  बिहार की सामाजिक संरचना, परंपराओं और रूढ़ियों के ताने-बाने से बुनी गई एक ऐसी व्यवस्था थी, जिसमें बिहार की राजनीति के प्रवेश द्वार को पिछड़ों और दलितों के लिए बंद करके रखा गया था। समय बदला, लोग बदले ,लोगों के विचार बदले, लोगों के व्यवहार बदले और लोग परंपरागत रूढ़ियों को तोड़ते हुए लोकतंत्रिक मूल्यों में आस्था प्रकट करने लगे, जिसने बिहार के पिछड़ों और दलितों के लिए बिहार की राजनीति के प्रवेश द्वार को खोल दिया और इस प्रक्रिया में उत्प्रेरक का कार्य किया, बिहार की समाज व्यवस्था में अपनी सशक्त पहचान बनाने वाले यादवों  के नेतृत्व ने।     मंडल कमीशन की सिफारिशों ने भारत के साथ-साथ बिहार की राजनीति को पूरी तरह से प्रभावित किया। इसी समय बिहार की राजनीति को निर्णायक मोड़ दिया गया ,यादव नेतृत्व के द्वारा। लालू यादव को बिहार की सत्ता में मुख्यमंत्री का पद मिला और इन्होंने अपने आक्रामक भाषा शैली के द्वारा परंपरागत सामाजिक संरचना को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया। लालू यादव ने अपने भाषणों में सवर्णों का विरोध कर अपने राजनीतिक हित को साधन

भारत में लॉक डाउन, lockdown in India, https://rroshanravi.blogspot.com/2020/04/lockdown-in-india.html

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                  भारत में लॉक डाउन                        लॉक डाउन क्यों ?           भारत में वैश्विक महामारी के रूप में फैल चुका covid-19 के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए लॉक डाउन किया गया है। लॉक डाउन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र उपाय है। लॉक डाउन का सामान्य अर्थ है -जो जहां है ,वो वही रहेंगे। इसमें सामान्यतः सीमाओं को पूरी तरह से लॉक कर दिया जाता है और आवागमन को पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है, ताकि लोग अपने घरों से बाहर ना निकले तथा पूरी तरह से एक दूसरे के संपर्क से अलग रहे और संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं हो।                                 लॉक डाउन का पालन नहीं होने पर क्या होगा?       लॉक डाउन का सही तरीके से पालन नहीं होने पर कोविड-19 के संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा और जल्द ही यह महामारी का रूप ले लेगा, कोरोनावायरस संक्रमण संपर्क जन्य होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी तेजी से फैलता है। लॉक डाउन का पालन नहीं होने पर लोग कई सड़कों से गुजरेंगे तथा भीड़-भाड़ में भी जाएंगे और ऐसे स