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खगड़िया की बोली (ठेठ हिंदी) https://rroshanravi.blogspot.com/2022/01/blog-post.html

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खगड़िया की बोली (ठेठ हिंदी) भाषा वाक्यों से बनती है , वाक्य शब्दों से और शब्द ध्वनियों से । ध्वनियों पर उच्चारण भिन्नता का प्रभाव पड़ता है , उच्चारण भिन्नता का कारण भौगोलिक , सांस्कृतिक , राजनीतिक , आर्थिक , समाजिक , ऐतिहासिक इत्यादि हो सकता है । उच्चारण की भिन्नता से शब्दों में भिन्नता आती है और शब्दों की भिन्नता , वाक्यों में भिन्नता को जन्म देती है , जो अन्ततः एक बोली को दूसरी बोली से भिन्न बना देती है । यही कारण है कि एक ही भाषा से कई बोलियों का जन्म होता है और इन्हीं बोलियों में से कुछ बोलियाँ समृद्ध होकर एक नई भाषा के रूप में विकसित हो जाती है । इसलिए यह कहा जाता है कि भाषा का जन्म नहीं होता है , बल्कि एक भाषा से दूसरी भाषा का विकास होता है ।                                     संस्कृत , पालि , प्राकृत और अपभ्रंश को अवस्था से गुजरते हुए हिन्दी का विकास हुआ है । अप्रभंश के विभिन्न रूपों से ही हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति हुई है। हिन्दी की बोलियों में ' बिहारी हिन्दी ' का विकास बिहार और आस - पास के क्षेत्र में हुआ है । ' बिहारी हिन्दी ' की तीन प्रमुख बोल